#Me_Too अगर आप इंटरनेट पर थोड़ा बहुत भी सक्रिय रहते होंगे तो शायद इसके बारे में आपको पहले से पता होगा.महिलाओं के साथ हुए शारीरिक शोषण के खिलाफ शुरु हुए ये कैम्पेन हॉलीवुड से शुरू हुआ अब ये अभियान अब भारत आ पहुंचा है दिन प्रति दिन नए और बड़े नामों पर आरोप लग रहे हैं. इस अभियान से महिलाओं की आवाज प्रखर हुई है वो भूत में अपने साथ हुई घटनाओं को खुल कर लिख रही हैं कि कैसे एक औदे पर बैठे या ताकतवर आदमी ने उसके साथ शोषण किया.पर महिला सशक्तिकरण की बात करने वाला ये पुरूष सत्तात्मक समाज ये स्वीकार ही नही रहा है कि उसके(महिला) साथ शोषण हुआ था.पितृसत्तात्मक समाज तर्क दे रहा है कि उस महिला ने तब क्यों नही आवाज उठाई,उसने खुद ये सब स्वयम की मर्जी से किया होगा,उसे मज़ा आ रहा था अपना शोषण कराने में। वो दरसअल समझ ही नही रहें है जो आज आरोप लगा रही किसी पहचान की मोहताज नही है उनके पास आज बड़ा नाम और शौहरत है और आज जब समाज और लोग इतना खुले मस्तिष्क के हो गए है तब भी लोग उसकी बात सुनने को राजी नही रहे जब आज ये हालात है तो जब वो पहचान में शून्य,परिस्थितियों से परेशान थी तो तब क्या लोग उसे सुनते या उसकी बात को स्वीकारते . समाज की सोंच ही कुछ ऐसी है अगर किसी लड़की के साथ कुछ गलत हुआ है दोषी सिर्फ लड़कियाँ ही समझी जाती है.हर बार आधी आबादी की यूँ ही दबा दी जाती है या फिर उधर ध्यान ही नही दिया जाता.हर मामले में लड़की को चरित्रहीन कह कर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है.
अब जब महिलाएं खुल कर लिख रही हैं तो खल रहा है.कैम्पेन में कई बड़े लोगों पर आरोप लगे है.ऐसा भी नही है कि महिलाएं पूरी तरह से पाक साफ है कई ऐसे भी मामले आये है जब महिलाओं ने भी अपनी बात मनवाने के लिए अपने आप को स्वयम ही पुरुष के हवाले किया हो,किसी भी आरोपी जिस पर शोषण का आरोप लगा हो उसके बारे में पूर्वाग्रह भी नही बनना चाहिए प्राकृतिक न्याय का नियम है जिस पर आरोप लगे हो उसका भी पक्ष सुना जाना चाहिए..
इस कैंपेन के चलते पूरे पुरुष वर्ग को शक के नजरिये से भी देखा जाना गलत है। साथ ही साथ महिलाओं को यह भी ध्यान रखना होगा कि अंधाधुंध या निराधार आरोपों के चलते कहीं वो अपना बराबरी का वो अधिकार ही न खो दें जो अभी तक उन्हें मिला ही नहीं..
शक्ति पूजा के इस पर्व पर इस कैम्पेन का होना अच्छी बात है,पर ये तो अभियान की अभी शुरू भर है अभी इसे और भी सफर तय करना है और वो सफर तब तक जारी रहना चाहिए जब महिलाएं अपने शोषण पर सटीक जवाब ठीक उसी मौके पर ही दें पाएं जब उसके शोषण किये जाने की कोशिश करी जा रही हो..
Me_too एक नारी सशक्तिकरण का बेहतरीन अभियान हो साबित हो सकता है क्योंकि इससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा।
हमारी-आपकी बेटियों और बहनों को तमाम सार्वजनिक जगहों या स्कूल, कॉलेज अथवा ऑफिस में शोषण का शिकार न होना पड़े,उन्हें उन क्षणों को गठरी की भाँति न ढोना पड़े जिन्हें वो समाज के डर शायद आज तक आपके या लोगों के सामने न रख पायीं हो.Me_Too से वो बोलना सीखेंगी और शायद उसी समय जवाब देना भी..
अब जब महिलाएं खुल कर लिख रही हैं तो खल रहा है.कैम्पेन में कई बड़े लोगों पर आरोप लगे है.ऐसा भी नही है कि महिलाएं पूरी तरह से पाक साफ है कई ऐसे भी मामले आये है जब महिलाओं ने भी अपनी बात मनवाने के लिए अपने आप को स्वयम ही पुरुष के हवाले किया हो,किसी भी आरोपी जिस पर शोषण का आरोप लगा हो उसके बारे में पूर्वाग्रह भी नही बनना चाहिए प्राकृतिक न्याय का नियम है जिस पर आरोप लगे हो उसका भी पक्ष सुना जाना चाहिए..
इस कैंपेन के चलते पूरे पुरुष वर्ग को शक के नजरिये से भी देखा जाना गलत है। साथ ही साथ महिलाओं को यह भी ध्यान रखना होगा कि अंधाधुंध या निराधार आरोपों के चलते कहीं वो अपना बराबरी का वो अधिकार ही न खो दें जो अभी तक उन्हें मिला ही नहीं..
शक्ति पूजा के इस पर्व पर इस कैम्पेन का होना अच्छी बात है,पर ये तो अभियान की अभी शुरू भर है अभी इसे और भी सफर तय करना है और वो सफर तब तक जारी रहना चाहिए जब महिलाएं अपने शोषण पर सटीक जवाब ठीक उसी मौके पर ही दें पाएं जब उसके शोषण किये जाने की कोशिश करी जा रही हो..
Me_too एक नारी सशक्तिकरण का बेहतरीन अभियान हो साबित हो सकता है क्योंकि इससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा।
हमारी-आपकी बेटियों और बहनों को तमाम सार्वजनिक जगहों या स्कूल, कॉलेज अथवा ऑफिस में शोषण का शिकार न होना पड़े,उन्हें उन क्षणों को गठरी की भाँति न ढोना पड़े जिन्हें वो समाज के डर शायद आज तक आपके या लोगों के सामने न रख पायीं हो.Me_Too से वो बोलना सीखेंगी और शायद उसी समय जवाब देना भी..
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